होली - मुक्तक

होली की हुड़दंग मा, हमहुँ पी गए भंग।
मस्ती ठंडाई छनी, मन मा उठी तरंग॥

अटल बिहारी हैं अटल, जया-ममता के बीच।
धोती उनकी ना खुलै, चाहे जितना खींच॥

एटम बम तो फोड़ दिया, भयी पुरानी बात।
भटकैं दर-दर जसवंत, टालबोट के साथ॥

लालू पे भी चढी भंग, बोले सुन री रबड़ी।
तू संभाल बिहार को, हम जाता हूँ दिल्ली॥

कांग्रेसियों के मुख पे, ज्यादा है उल्लास।
सोनिया की माला जपैं, है गद्दी की आस॥

होली १९९९
नवाबगंज, कानपुर

[ सामायिक राजनीतिक परिस्थितियों पर होली की मस्ती में लिखे गये मुक्तक. ]