असमंजस

असमंजस में हूँ।

अनुभव बहुतेरे हैं मेरे,
कुछ हैं मीठे, कुछ हैं खारे,
पर दोनों ही मुझको प्यारे,
ऐसे में क्या रखूँ मन में, और क्या कह दूं।
असमंजस में हूँ।

अंतस में चोटें गहरी हैं,
पर अधरों पे प्रहरी हैं,
सांसें तो जैसे ठहरी हैं,
कौन सुनेगा पीङा के स्वर, क्यों न मौन रहूँ।
असमंजस में हूँ।

११ जुलाई १९९८
Lowell, MA, USA