शहीद सैनिकों को नमन

वे तो आज धरा के ऋण को प्राणों से अपने चुका गए,
यदि जीवित हो तो तुम बोलो कि लहू के बदले क्या दोगे?

संयम और शांति का कोई
तुम फिर से पाठ पढ़ाओगे,
या निंदा कड़ी करोगे तुम,
कुछ गुस्से में चिल्लाओगे।

मोमबत्ती के मोम सरीखे
पिघल-पिघल बह जाओगे।
बस इतना ही बस में केवल,
फिर जीवन में खो जाओगे?

कैसे कर्त्तव्य निभाते वे, माटी में मिलकर दिखा गए,
यदि जीवित हो तो तुम बोलो कि तुम माटी को क्या दोगे?

हाँ! खून तुम्हारा खौल रहा,
पर क्या बस केवल खौलेगा?
रख लाभ-हानि के पलड़ों पर
जीवन सिक्कों से तौलेगा?

सेना तो अपने शूरों के
शव का प्रतिशोध वसूलेगी।
उनके साहस की शौर्य कथा
सुन सबकी छाती फूलेगी।

है अमर हुआ जाता कैसे, वे खुद मर-मिटकर सिखा गए,
यदि जीवित हो तो तुम बोलो कि सीख युगों को क्या दोगे?

१५ फरवरी २०१९
बंगलौर