राम राज्य

दमड़ी सारी ले गये, और उतारी खाल।
जेटली-मोदी खेलते, विक्रम औ' बेताल॥

बच्चे मरते तो मरें, योगी है निर्मोह।
गोरखधंधे की दया, भक्तों पर सम्मोह॥

गये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास।
आम आदमी थे भले, गद्दी आ गयी रास॥

केजू बड़बोले बड़े, अभी निकलते पाप।
जज से अब अनुनय करें, जल्दी करें न आप॥

साँस रोककर देखती, जनता सबके काज।
पिसना उसका भाग्य है, चाहे जिसका राज॥

३ सितंबर २०१७
बंगलौर