हुज़ूर आज फिर मचल रहा हूँ

हुज़ूर आज फिर मचल रहा हूँ
ख्वाब ग़ज़ल में बदल रहा हूँ

गुजर गयीं सूनी गलियों में
याद लपेटे टहल रहा हूँ

दिल पर सालों बर्फ समेटे
आज आँख से पिघल रहा हूँ

स्याह रात में कलम डुबो कर
उजली बातें उगल रहा हूँ

हार गया कुछ ठौर पुराने
कैसे कह दूँ सफल रहा हूँ

दिल की बात जुबाँ पे आयी
कहते-कहते संभल रहा हूँ

"बेसबब" अरमान थे थोड़े
यही सोच कर बहल रहा हूँ

१२ जून २०१६
बंगलौर