शाम-ऐ-तन्हाई

शाम-ऐ-तन्हाई तन्हा यूं नहीं होती।
यादों की महफिल है बस तू नहीं होती।

न हुस्न, न रंग, न अदा पे फिदा हम हैं,
सादगी है, वरना ये जुस्तजू नहीं होती।

मुश्किल-ओ-रंज के क्यों करें शिकवे,
अश्क-ऐ-गम से रूह रूबरू नहीं होती।

रफ्तार-ऐ-दुनिया में जिंदगी धुआं - धुआं,
अब दिल-ऐ-यार से भी गुफ्तगू नहीं होती।

मंजिलें कहाँ रास्तों की किसे है खबर,
"बेसबब" दिल में कोई आरजू नहीं होती।

५ फरवरी २००३
Chicago, IL, USA