प्रिये! सतत चलना होगा!

प्रिये! सतत चलना होगा!

इस जीवन-पथ पर हम-तुम,
बस कुछ कदम ही साथ चले हैं।
कुछ ही मोड़ मिलें हैं जिन पर,
असमंजस में हम ठिठके हैं।
अन्तहीन है यह पथ, अभी बहुत चलना होगा!
प्रिये! सतत चलना होगा!

संदेह नहीं है तनिक भी मुझको,
एक-दूजे से प्रेम बहुत है।
पर संकीर्ण मोह के कारण,
खुद को खोने का रोष बहुत है।
पगली! हममें है भेद कहां? एकाकी हो गलना होगा !
प्रिये! सतत चलना होगा!

अंतस का मालिन्य मृत हो,
कटु यादों का विष हो अमृत,
क्षमा कर सकें खुद को, सबको,
संजीवन देनें का लेवें व्रत।
कुंदन हो हृदय हमारा, यज्ञ-कुंड में ढलना होगा !
प्रिये! सतत चलना होगा!

२५ दिसंबर २००२
Chicago, IL, USA