तेरा मलिन ललाट क्यों - कुण्डलिया

तेरा मलिन ललाट क्यों, चिंतित क्यों दिन रात।
बैठो आकर साथ में, कह लो मन की बात॥
कह लो मन की बात, सखे मुझसे क्या परदा।
खोलो मन की गाँठ, कहो क्या आयी विपदा॥
जीवन के सब रंग, विधाता निपुण चितेरा।
चिंता की क्या बात, नहीं कम कौशल तेरा॥

२७ अप्रैल २०१४
बंगलौर

[कुण्डलिया छंद]