हाइकु - आशा आस उम्मीद

[हाइकु मूलतः जापानी कविता का छंद है जो अन्य भाषाओं में, जैसे कि अंग्रेजी और हिंदी में भी प्रचलित हो गया है।

हाइकु कविता में तीन पंक्तियाँ होती हैं: पहली पंक्ति में ५ वर्ण (मात्रा नहीं), दूसरी में ७ वर्ण और तीसरी पंक्ति में ५ वर्ण, अतएव यह केवल १७ अक्षर की कविता है। हिंदी में इसका प्रचलन तीन दशकों से भी अधिक पुराना है, और विभिन्न प्रख्यात कवियों ने बहुत सुन्दर हाइकु (जैसे कि गोपाल दास "नीरज" के हाइकु) लिखे हैं।

मेरा हाइकु लिखने का यह प्रथम प्रयास है।]

निशंक चढ़ी
संशय वट पर
आशा वल्लरी

आशा अक्षुण्ण
जीवन या मरण
अटल प्रण

आस अभंग
तरणी की उमंग
दंग तरंग

आस किरन
पुलकित जीवन
दीपित मन

आस मृदंग
निज श्रम की थाप
मोहक राग

आस जरूरी
पर बिना कर्म के
इच्छा अधूरी

मन विहंग
उड़ता मेघ संग
आस के पंख

रात ने घेरा
अभी दूर सबेरा
आस बसेरा

आस चुहुल
कहती बुलबुल
हँसता गुल

आस विहग
उड़, श्रम से थक
नीड़ है स्वर्ग

आस का पंक्षी
आकाश में उड़ता
मिले न छोर

विरही राधे
कठिन सुर साधे
उम्मीद बांधे

१ जनवरी २०१५
बैंगलोर