साँवरिया - कुण्डलिया

जब तक वे शीतल रहें, जैसे सुखद शिखंड।
ज्यों उग्र तन खड़े भये, भय से हृदय विखंड॥
भय से हृदय विखंड, दिव्य ये महिमा न्यारी।
लख विस्तार प्रचंड, झुकें सम्मुख नर नारी॥
भावे घृत श्रीखंड, बजावें बांसुरिया सब।
विह्वल हो मदमस्त, लुभावें साँवरिया जब॥

३ मई २०१४
बंगलौर

सांवरिया : कृष्ण, Krishna
शिखंड : मोर पंख, peacock tail
भये : हुए
विखंड : टूटना, fragmentation
लख : देख, seeing
भावे : अच्छा लगे, like
घृत : घी, Ghee
विह्वल : भाव विभोर, overwhelmed