होली दोहे २०१४

मस्त माहौल देश का, उड़ता रंग गुलाल।
लोकतंत्र-महायज्ञ में, तू भी आहुति डाल॥

अर्थनीति का ज्ञान था, दामन था बेदाग।
मनमोहन को वोट दे, सबके फूटे भाग॥

अर्थ-व्यवस्था चरमरी, मुद्रास्फीति घनघोर।
रोटी भी दूभर हुयी, रखवाले जो चोर॥

मनमोहन हैं मूक-बधिर, जो ये शंका होय।
प्रधानमंत्री दुर्बलतम, धीरे से कह कोय॥

मनमोहन के कंधे पर, धर बंदूक चलाय।
सोनिया को दाद मिले, मन्नू दोष उठाय॥

मैडम जी के रहम से, प्रिंस की सीट गरम।
वंशवाद की चाकरी, करता रह बेशरम॥

बप्पा, दादी, परदादा, अम्मा का पल्लू थाम।
चालीस साल का पप्पू, अपना एक न काम॥

इंटरव्यू देने चले, उत्तर घोटा मार।
कोई भी सवाल करो, जवाब बेसिरपैर॥

इतने घोटाले किये, गणित समझ ना आय।
रोजगार की गारंटी, बबुआ किसे दिलाय॥

काँग्रेस को खूब पता, उसका पत्ता साफ।
बस मूरख की आस है, जनता कर दे माफ़॥

होली (१७ मार्च) २०१४
बंगलौर